Sunday 12 April 2015

रायपुर में 10 अप्रैल से अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हुई.......11 अप्रैल को जाने का अवसर मिला और अनंत महादेवन की स्टेयिंग अलाइव और गौर हरि दास्तान मूवी देखा......इनके अलावा भी कई शार्ट फिल्में देखने का अवसर मिला साथ ही मशहूर चित्रकार जतिन दास और फोटोग्राफर रघु राय पर डाक्यूमेंट्री देखी और उनके बीच उनको सुना भी.....स्टेयिंग अलाइव और गौर हरि दास्तान दोनों ही शानदार फिल्म है.....स्टेयिंग अलाइव में जिंदगी को नए नजरिए से देखने का अवसर मिलता है तो वहीं सत्य घटना पर आधारित गौर हरि दास्तान हमारे सरकारी तंत्र के निकम्मेपन को उजागर करती है जहां एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गौर हरि दास को अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साबित करने के लिए 32 साल तक लगातार संघर्ष करना पड़ता है.....फिल्म का एक शानदार दृश्य याद आ रहा है जिसमें उनकी स्टोरी को उठा रहा पत्रकार उनसे पूछता है कि क्यों आप इतने सालों से लड़ रहे तो तो गौर हरि दास कहते हैं कि लड़ाई तो मैंने सालों पहले ही छोड़ दी है लेकिन आज तक हार नहीं मानी.....वहीं आज 12 अप्रैल को पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म कहि देबे संदेश देखा और संजय झा मस्तान की फिल्म स्ट्रिंग, बाउंड बाय फैथ फिल्म देखी......कहि देबे संदेश में तो डायरेक्टर मनु नायक ने सामाजिक संदेश देने वाली महान फिल्म रची है जो छूआछूत के खिलाफ आवाज बुलंद करती है और फिल्म का संगीत दिल को छूता है और मुझे ये फख्र हो रहा है कि इतनी शानदार फिल्म के बाद बाद में जो छत्तीसगढ़ी भाषा में फिल्में बनी उनमें से अधिकांश बालीवुड के फिल्मों की नकल ज्यादा हैं मौलिकता की कमी है इस फिल्म को देखने के बाद छत्तीसगढ़ के वर्तमान पीढ़ी के फिल्मकारों को सीख लेनी चाहिए कि अपनी माटी और संस्कृति से जुड़ी फिल्में ही बनाएं.....वहीं स्ट्रिंग बाउंड बय फैथ मूवी के गाने दिल को छू गए हैं फिल्म भी बहुत अच्छी है.....फिल्म फेस्टिवल से लौटने के बाद से ही लगातार इसके गाने सुन रहा हूं....वहीं ये जानकर दुख होता है कि ऐसी अच्छी फिल्मों को रिलीज के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है....इस फिल्म फेस्टिवल के आयोजन के लिए आयोजन समिति निश्चित रुप से बधाई के पात्र हैं......

Saturday 28 February 2015

छत्तीसगढ़ से क्लासिक फिल्मों का नाता



गाईड फिल्म के बारे में काफी तारीफ सुन रखा था और आज मतलब शनिवार को लैपटाप पर गाईड मूवी देखने के बाद फिल्म बहुत पसंद आई......नाईट ड्यूटी करने आफिस आया तो गाईड की समीक्षा पढ़ने बैठ गया और तब पता चला कि फिल्म में किशोर साहू जी हैं जो छग के ही हैं.....उनके बारे में पहले भी जयप्रकाश चौकसे की फिल्म समीक्षाओं में पढ़ चुका था लेकिन आज और ज्यादा डिटेल से पढ़ा.....साथ ही सत्यजीत रे की सद्गति फिल्म भी देख डाली......जो मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर बनी है......फिल्म जैसे ही शुरु हुआ मुझे अुपने गांव की याद आई लगा जैसे फिल्म में दिखाए जा रहे गांव से मेरा अपना नाता है......45 मिनट की इस फिल्म के खत्म होने के बाद मैं फिल्म की क्रेडिट लाइन देख रहा था तो अचानक कलेक्टर रायपुर मप्र का जिक्र आया साथ ही महासमुंद और छक के कुछ कलाकारों का भी जिक्र आया.....इससे मेरी जिज्ञासा बढ़ी और सर्च करने पर भिलाई के हमारे पत्रकार साथी जाकिर हुसैन का ओम पुरी के साथ लिया इंटरव्यू पढ़ने को मिला.....जिससे  पता चला कि 1981 में फिल्म की शूटिंग छग के ही महासमुंद में हुई थी.....तब समझ में आया कि क्यों मुझे फिल्म देखते हुए मेरे गांव की याद आई जो छग के अधिकांश गांव की तरह ही है..... मेरे लिए आज का ये दिन कई मायनों में उपलब्धि भरा रहा.....गाईड और सद्गति जैसी क्लासिक मूवी देख लिया वहीं छग के कलाकार किशोर साहू जी के बारे में भी जानने का अवसर मिला......वहीं आज ये लगा भी कि हम छग के होकर भी कितना कम जानते हैं.....कल ही हमारे आफिस में सीओओ विद्याधर सर ने पूछा था सभी से कि छत्तीसगढ़ी दिवस कब है और पूरे न्यूजरुम में कोई नहीं बता पाया था.....उन्होंने पूछा था कि कितने लोग छत्तीसगढ़िया हैं और मेरे सहित कई लोगों ने हाथ उठाया था लेकिन उनकी एक बात बहुत अच्छी लगी कि यहां उपस्थित सभी लोग छत्तीसगढ़िया हैं......छत्तीसगढ़िया होकर भी अपने प्रदेश के बारे में कम जानने पर मुझे थोड़ी शर्म आई थी.....छत्तीसगढ़ी दिवस 28 नवंबर को है और सीओओ सर ने घोषणा की है कि पूरे नवंबर महीने को छत्तीसगढ़ी दिवस के रुप में सेलिब्रेट करेंगे.....और मैं भी छत्तीसगढ के बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयत्न करुंगा....

Thursday 15 December 2011

तानाशाही की राह पर रमन

९ दिसंबर से  केबल पर ई टीवी बंद है.......रमन सिंह कहीं न कहीं से गलत जरुर है इसीलिए मीडिया को देख लेने की धमकी देने के साथ ही चैनल का प्रसारण बंद करवा दिया और प्रदेश के अधिकांश शहरों का यही हाल है.......पत्रिका की प्रतियाँ जलाई जा रही है....पत्रिका ने सिलसिलेवार जिस तरह से प्रदेश के काले कारनामो को उजागर किया है उससे रमन सिंह के साथ ही उनके मंत्रिमंडल की नींद उड़ गयी है..... अपनी खीज निकालने के लिए ई टीवी और पत्रिका को एक एक करोड़ कि मानहानि का दावा करने के लिए रमन सिंह ने नोटिस दिया है.......जिस तरह का सलूक मीडिया के साथ किया जा रहा है उससे सरकार की तानाशाही झलकती है.......ऐसे में १९७५ के आपातकाल के लिए कांग्रेस और इंदिरा गाँधी को जी भरकर कोसने वाली भाजपा का असली चेहरा उजागर हो रहा है......और रमन सिंह अपने इस कारनामे से न केवल अपने लिए गड्ढा खोद रहे हैं बल्कि प्रदेश में भाजपा के लिए भी मुश्किलें पैदा करने वाले हैं......और उनकी पार्टी के ही लोग उनकी शिकायत दबी जुबान ही सही कर रहे हैं......साथ ही लाल,  गुलाबी पर्चों के रूप में भी पार्टी और संघ के लोगों की भावनाएं बाहर निकल रही है.......  खैर रमन सिंह ने अपने इस घटिया कारनामे से ये तो बता दिया है कि मीडिया कि अनदेखी नहीं की जा सकती और मीडिया अपनी औकात पे आ जाये तो अच्छे अच्छे धुरंधरों की हालत ख़राब कर सकता है....दरअसल हमारे प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस एक जुट नहीं है नहीं तो इस सरकार के काले कारनामों की लम्बी लिस्ट बाहर निकलती साथ ही सरकार भी डरती.....हाल के दिनों में नन्द कुमार पटेल के नेतृत्व में कुछ जान जरुर आई है जिससे लगता है कि रमन सरकार को आने वाले आम चुनावों में पानी भरना न पड़ जाये........लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उभरता है कि अगर कांग्रेस की सरकार बन जाये तो आम लोगों को क्या राहत मिल जाएगी और भ्रष्टाचार में किसी तरह का अंकुश लग पायेगा,  ये तो विश्वास के साथ कहा ही नहीं जा सकता......बावजूद इसके परिवर्तन की दरकार तो है ताकि सरकार वर्तमान की तरह निरंकुश न हो जाये....

मुगालते में सरकार

सरकार डर रही है की कहीं उसके चाहने वालों की लम्बी लिस्ट न बाहर आ जाये.....और प्रणव दा ये कह कर सिर्फ दिलासा देने की कोशिश कर रहे हैं कि विदेशों में ज्यादा काला धन जमा नहीं है लोगों द्वारा  सिर्फ खोखले दावे किये जा रहे हैं लेकिन मुद्दा ये नहीं है कि विदेशों में जमा काला धन ज्यादा है या कम......मुद्दा ये है कि हमारे देश से गैर क़ानूनी तरीकों से भ्रस्टाचार के द्वारा कमाई की गई रुपयों को किस तरह वापस लाया जाये और ऐसे काले कारनामे करने वालों के नाम न सिर्फ सार्वजनिक किये जाएँ बल्कि इन्हें उचित दंड भी दिया जाये ताकि बाकी लोगों को इससे सबक मिले.......प्रणव दा ये कह कर मजाक जरुर कर रहें हैं कि हमारे देश के किसी भी सांसद का पैसा विदेशी बैंकों में जमा नहीं है....लेकिन पूरे देशवासी न सिर्फ जानतें हैं बल्कि पूरा विश्वास है कि सबसे ज्यादा पैसा हमारे देश के नेताओं का ही जमा है.......सरकार ने ये सोच ही लिया है की किसी का भी नाम जाहिर नहीं किया जायेगा ऐसे में लोगों को शायद ही पता चले .......और प्रणव दा इस मुगालते में रह सकतें हैं कि उनका दावा सही था......

Monday 10 October 2011

जगजीत सिंह का जाना हमारे जैसे देश के करोड़ों  ग़ज़ल प्रेमियों के लिए  गहरा आघात है........ग़ज़ल सुनने की ललक और समझ दोनों ही जगजीत सिंह को सुनते हुए हुई.....और सालों से ये सिलसिला चला आ रहा है.....जगजीत सिंह को सुनने के बाद ही गुलाम अली, अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन जैसे फनकारों को भी सुनने और समझने की समझ आई.....जगजीत सिंह भले ही हमारे बिच न रहें लेकिन उनके और चित्र के गए गजल हमेशा उनकी यादों को हमारे जेहन में जिन्दा रखेंगे......उनकी जुगलबंदी मुझे गुलज़ार के साथ सबसे ज्यादा पसंद रही....... निदा फ़ाज़ली के शब्दों को भी अपनी गायकी से उन्होंने लाजवाब बनाया है.....अभी उन्ही की गज़लें सुनते हुए जगजीत जी को श्रद्धांजलि दे रहा हूँ....शाम से आँख में नमी सी है आज फिर आपकी आपकी कमी सी है....आज ये ग़ज़ल जगजीत सिंह जी के अचानक चले जाने से बरबस ही याद आ गई....और वास्तव में मेरी आँखों में नमी है.....जिनसे जगजीत सिंह जी को श्रद्धांजलि

Friday 2 September 2011

हमारा प्रदेश जहाँ सुविधासंपन्न गरीब हैं

पीडीएस में रिश्वतखोरी, छत्तीसगढ़ नंबर १  ये हेड लाइन  है आज पत्रिका की, centre for media studies की रिपोर्ट में में ये बात आई है की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक लूटमार है...वाकई में १ रुपये किलो का चावल देकर  प्रदेश सर्कार ने वास्तविक गरीबों को कम और फर्जी गरीबों को ज्यादा लाभ पहुँचाया है......इस प्रदेश की विडम्बना ही है कि जिनके पास ऐशो आराम की सारी सुविधाएँ हैं वो गरीबी रेखा में आते हैं....और जो वास्तव में पत्र हैं वो कार्ड बनवाने ठोकरें खा रहे हैं....सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन और मिट्टीतेल में कितना गोलमाल होता है ये तो जग जाहिर है लेकिन हमारे प्रदेश के सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मॉडल बताया जाता है  विदेश से मेहमान आते हैं.....और प्रदेश सर्कार खूब वाहवाही लूटती है लेकिन हकीकत ये है कि किन भी राशन दुकानों में ये मेहमान जाती हैं वे दुकाने पहले से ही चकाचक कर दी जाती हैं न केवल दुकान बल्कि खरीददार मतलब गरीब भी चकाचक होकर राशन खरीदने पहुँचते हैं.....ये मजाक नहीं हकीकत है...कुछ माह पहले विदेशी मेहमान जब बिलासपुर पहुंचे थे तब मेरे एक मित्र ने आँखों देखी हाल बताया था...